हम अपना पैसा या तो बैंक में नकद या गोल्ड के तौर पर सेव करते हैं। या फिर प्रॉपर्टी और शेयर बाजार में इन्वेस्ट करते हैं। शेयर बाजार में रिटर्न ज्यादा होता है, और इसलिए लोग स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना सही समझते हैं। कुछ लोग इसे एक जुए की तरह देखते हैं, लेकिन जाहिर सी बात है कि लोग स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट से मुनाफा कमाते हैं, जिसे वो आगे कहीं और इन्वेस्ट करते हैं, इससे रोजगार बढ़ता है और दूसरे लोगों की इनकम भी। इसलिए शेयर बाजार में इन्वेस्ट करना, इन्वेस्टर्स के साथ-साथ देश की इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए भी बहुत फायदेमंद है। स्टॉक, शेयर और इक्विटी मार्केट, तीनों का एक ही मतलब है, जहां पर आप कंपनी के शेयर, खरीद और बेच सकते हो। शेयर खरीदने का मतलब है कि आप उस कंपनी के कुछ परसेंट हिस्से के मालिक बन जाते हैं। आपके शेयर या इन्वेस्टमेंट के अनुसार, उस कंपनी की कुछ ओनरशिप आपको मिल जाती है। ऐसे में जब भी कंपनी को फायदा होगा, उस प्रॉफिट का कुछ परसेंट आपको मिलेगा। तो जाहिर सी बात है, कंपनी को नुकसान होने पर, उस लॉस के हिस्सेदार भी आप ही होंगे। आज लगभग हर देश में स्टॉक मार्केट हैं, जहां हर देश के नागरिक, इन्वेस्ट करते हैं। अमेरिका के लगभग 56 से 58% लोग शेयर मार्केट में पैसे लगाते हैं, जबकि यूके की 33 परसेंट पोपुलेशन, चीन की लगभग 13 परसेंट और भारत की सिर्फ 3 परसेंट जनसंख्या, शेयर बाजार में निवेश करती है।
स्टॉक मार्केट के इतिहास की बात करें, तो यह 400 से ज्यादा साल पुराना है। जब डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने, लोगों को उनकी शिप पर पैसा इन्वेस्ट करने के लिए कहा था। और इस तरह, यह एक ऐसा ओपन मार्केट बन गया, जहां समुद्री जहाजों पर बिडिंग होती थी। इससे जहां कंपनी को नए इन्वेस्टर मिलने लगे, वहीं आम लोगों को पैसा और प्रॉफिट कमाने का नया जरिया मिल गया। अगर भारत की बात करें, तो देश में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं, जिनमें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज सबसे बड़ी हैं। स्टॉक एक्सचेंज 2 टाइप के हैं। पहला प्राइमरी स्टॉक एक्सचेंज है, जहां कोई भी कंपनी अपने शेयर बेचती है और उन शेयर का रेट भी वही डिसाइड करती है। वहीं सेकंडरी मार्केट वो होता है, जहां कोई व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदता है, और उन शेयर को आगे किसी और को बेच देता है। कंपनियों को बड़े प्रोजेक्ट लेने के लिए पैसे की जरूरत होती है। वे इसे बॉन्ड जारी करके उठाते हैं, आमतौर पर, जब कंपनी तेजी से बढ़ रही होती है, तो शेयर की कीमतें बढ़ जाती हैं। एक जरूरी बात यह है कि कंपनी के हर शेयर की वैल्यू सेम होती है। जिसके पास कंपनी के शेयर की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी होगी, वही कंपनी को लेकर कोई भी डिसीजन ले सकता है, और इसलिए कंपनी के फाउंडर अक्सर 50 परसेंट से ज्यादा शेयर अपने पास रखते हैं।
आज ज्यादातर लोग शेयरों में निवेश करते हैं, कारण यह है कि बैंक के डिपॉजिट सर्टिफिकेट, गोल्ड और ट्रेजरी बॉन्ड जैसे विकल्पों की तुलना में, शेयर मार्केट में ज्यादा रिटर्न की संभावना रहती है। लेकिन, इस सेक्टर में भी लोगों ने कई बड़े स्कैम देखे हैं, जिसमें हर्षद मेहता घोटाला, कार्वी घोटाला, सत्यम स्कैम और यूटीआई घोटाले जैसे कई स्कैम सबसे बड़े हैं। वास्तव में, इंडियन कैपिटल मार्केट को, Ministry of Finance, Securities and Exchange Board of India और Reserve Bank of India, regulate और monitor करता है। हां यह अलग बात है कि इस सेक्टर में बढ़ते स्कैम के चलते, आज शेयर बेचने और खरीदने की प्रक्रिया को थोड़ा कॉम्प्लीकेटेड और लंबा रखा गया है। लेकिन फिर भी सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस सेक्टर को और ट्रांसपेरेंट बनाना चाहिए, ताकि लोग बिना डरे, स्टॉक मार्केट में विश्वास और इन्वेस्ट कर पाएं। इससे लोगों की आय बढ़ेगी, जिससे लोग टैक्स पे करेंगे। जब टैक्स पे करने वालों की संख्या बढेगी, तो इससे सीधे तौर पर देश की इकोनॉमिक ग्रोथ होगी। इसलिए सेबी, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, फाइनांशियल रिसर्च एजेंसियां, म्यूचुअल फंड और एसआईपी फंड मैनेजर, और बिजनेस न्यूज चैनल को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। लोगों को अवेयर करना चाहिए, उन्हें सही जानकारी और एक ट्रांसपेरेंट प्लैटफॉर्म प्रोवाइड करवाना चाहिए, ताकि लोगों का शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट पर भरोसा बढ़े। अकसर यह सुनने में आता है कि शेयरों में निवेश के चलते कोई व्यक्ति भारी कर्ज में फंस गया। इसलिए शेयर बाजार में निवेश के लिए हमेशा सरप्लस फंड ही निवेश करें। सरप्लस फंड वो पैसा है, जो आपके पास आपके खर्चों और अन्य जरूरतों को पूरा करने के बाद बचता है। इसके अलावा, गवर्नमेंट को, इस सेक्टर को और ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाना चाहिए, ताकि लोग धोखेबाजी का शिकार न हो पाएं। इससे लोगों का शेयर मार्केट पर विश्वास बढ़ेगा, वो ज्यादा इन्वेस्टमेंट करेंगे, जिससे देश की इकोनॉमी ग्रो होगी।